दोस्ती की अनूठी मिसाल: अंतिम यात्रा में निभाया वादा,4 साल पहले दोस्त ने खत में लिखा था : मेरी अर्थी के आगे नाचते हुए मुझे विदा करना

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29 जुलाई को कैंसर से जूझते हुए सोहनलाल का निधन हो गया।30 जुलाई को उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। जैसे ही अर्थी उठी, दोस्त अंबालाल नाचने लगे। गांव वालों ने उन्हें रोका, पर उन्होंने कहा: "यह मेरे यार की आखिरी इच्छा थी। इसे कैसे तोड़ सकता हूं?"

जनसंवाद न्यूज़, मंदसौर
मंदसौर जिले के गांव जवासिया में बुधवार को एक दृश्य ने पूरे गांव को भावुक कर दिया, जहां मित्र की अंतिम यात्रा में अर्थी के आगे उसका दोस्त नाचता हुआ नजर आया। यह कोई मज़ाक या असंवेदनशीलता नहीं थी, बल्कि दोस्ती की उस अमिट मिसाल का नज़ारा था, जिसे मरते दम तक निभाया गया।
 4 साल पुरानी दोस्त की आखिरी ख्वाहिश
कहानी शुरू होती है सोहनलाल जैन और अंबालाल प्रजापत की गहरी दोस्ती से। 71 वर्षीय सोहनलाल, कैंसर से जूझ रहे थे। बीमारी का पता लगने के बाद 9 जनवरी 2021 को उन्होंने एक खत अपने जिगरी दोस्त अंबालाल को लिखा, जिसमें उन्होंने कहा: "मेरे जाने के बाद रोना मत, मेरी अर्थी के आगे नाचते हुए मुझे विदा करना। सब कुछ खुशी-खुशी होना चाहिए। अगर मुझसे कोई गलती हुई हो तो क्षमा करना।"
 वादा निभाया गया... 
29 जुलाई को कैंसर से जूझते हुए सोहनलाल का निधन हो गया।30 जुलाई को उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। जैसे ही अर्थी उठी, दोस्त अंबालाल नाचने लगे। गांव वालों ने उन्हें रोका, पर उन्होंने कहा: "यह मेरे यार की आखिरी इच्छा थी। इसे कैसे तोड़ सकता हूं?"
 20 साल पुरानी दोस्ती,10 साल की प्रभात फेरी
अंबालाल बताते हैं कि सोहनलाल सिहोर गांव से 20 साल पहले जवासिया आए थे। तब से रोज उन्हें घर की चाय पिलाना, दिन में 2–3 बार मिलना और पिछले 10 सालों से रोज सुबह प्रभात फेरी निकालना – यही उनकी दिनचर्या थी।
 "पीड़ा है, पर आंसू नहीं"
अंबालाल कहते हैं: "मन में गहरा दुख है, पर आंसू नहीं निकले। क्योंकि दोस्त ने मना किया था रोने से।"

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