16 फरवरी होने वाला नर्मदा जयंती उत्सव भी बगैर आतिशबाजी के होगा। केवल नर्मदा माँ का पूजन ही होगा। जनमानस को संदेश देते हुए गुरुदेव ने अपने उपदेश में कहा है कि हमने हरदा हादसे के बाद ही आतिशबाजी पटाखे को त्यागने का प्रेरणादाई संकल्प लिया है।
पंडित कमल किशोर नागर हरदा की घटना से हुए व्यथित,पटाखे,आतिशबाजी को पूर्णतः त्यागने का संकल्प लेकर आम जनमानस को जानलेवा चोंचले से दूर रहने को कहा
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जनसंवाद न्यूज़ गुलाना/शाजापुर
सलीम शेख ,,,
मध्यप्रदेश के हरदा में हुई हृदय विदारक घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। वही राष्ट्रीय संत मां सरस्वती के वरद पुत्र कथावाचक पं कमल किशोर नागर इस घटना से इतने व्यथित हुए। उन्होंने आतिशबाजी को लेकर अनोखा निर्णय ले लिया।
पंडित नागर ने पटाखे या आतिशबाजी को पूर्णतः त्यागने का संकल्प लेकर आम जनमानस को भी इस जानलेवा चोंचले से दूर रहने की मुहिम छेड़ दी है।
शाजापुर जिले में स्थित हाटकेश्वर तीर्थ धाम सेमली के संस्थापक पंडित नागर ने अपने मन की पीड़ा साझा करते हुए कहा कि बारूद और खुशियों का दूर तक कोई संगम संभव नहीं है। हमें बारूद को खुशियों का हम दर्द नहीं समझना चाहिए। बारूद जब भी किसी भी रूप में बिखरता है तो खुशियों के चिथड़े उड़ाकर सिर्फ दर्द ही देता है। फिर क्यों हम अपनी खुशियों को बारूद से सवारने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। बारूद कभी हंसते खेलते परिवार की खुशियों में चार चांद तो नहीं लगा सकताए हां देखते ही देखते परिजनों को अपने परिवार से छीनकर बर्बादी के शिखर तक जरूर ले जा सकता है। पंडित नागर के अनुसार आतिशबाजी फूहड़ शौक हैए इसे जितना जल्दी हो त्याग दे। हरदा हादसे का शिकार हुई कई जानों की तड़प से दुखी होकर संत श्री ने आमजनों को संदेश देते हुए कहा कि हरदा की आग भले ही शांत हो गई। लेकिन मेरा अंतर्मन अभी भी उस दर्द की तड़प से जल रहा है। बारूद से बनी आतिशबाजीए पटाखे एक फूहड़ शौक है। इसके कारण हमें हमारे परिजनों को त्यागना पड़े उससे पहले क्यों ना हम इसे त्याग दें। आतिशबाजी पटाखे का त्याग कर दोष के सहभागी होने से भी बचे। फिर बात चाहे दीपावली की हो या कोई उत्सव की ही क्यों न हो।
नर्मदा जयंती पर नहीं होगी आतिशबाजी
16 फरवरी को होने वाला नर्मदा जयंती उत्सव भी बगैर आतिशबाजी के होगा। इस अवसर पर केवल नर्मदा माँ का पूजन ही होगा। जनमानस को संदेश देते हुए परम पूज्य गुरुदेव ने अपने उपदेश में कहा है कि हमने हरदा हादसे के बाद ही आतिशबाजी पटाखे को त्यागने का प्रेरणादाई संकल्प लिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि मेरी कथा के आयोजन में भी अगर स्वागत के तौर पर किसी ने आतिशबाजी की तो मैं बगैर कथा वाचन किए वहां से लौट आऊंगा। उन्होंने बताया कि आने वाली 16 फरवरी को नर्मदा जयंती के अवसर पर बगैर आतिशबाजी एवं उत्सव के वे अपने भक्तों के साथ सिर्फ नर्मदा पूजन ही करेंगे।
पूजन अर्चन कर भी मना सकते हैं उत्सव
पंडित नागर ने अपने संदेश में कहा कि दीपावली या किसी उत्सव के अवसर पर आतिशबाजीए पटाखे जलाना ही जरूरी नहीं है। हम भजन कीर्तन एवं पूजन अर्चन के साथ परमात्मा का सुमिरन कर भी उत्सव मना सकते हैं। इस तरह उत्सव मनाने से देश का करोड़ों रुपया तो बचेगा साथ ही हमारी संस्कृति एवं बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित रह सकेगा। पटाखे जलाने से जीवो की हिंसा होती है। कागज जलते हैंए जिससे विद्या का भी अपमान होता है। इसलिए उन्होंने अपील की है कि आतिशबाजी में लगने वाले पैसों को पुनीत कार्य में लगाए और हमारी थोड़ी देर की खुशी के लिए खतरे को बुलावा ना दे।